हिन्दुस्तान पत्रिका @ ब्यूरो रिपोर्ट
। संविधान के अनुच्छेद 42 और 43 से स्पष्ट है कि राज्य के द्वारा काम के न्यायपूर्ण और उचित माहौल के निर्वाह, मजदूरी, अच्छा जीवन स्तर तथा सामाजिक- सांस्कृतिक अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को मुहैया कराने की जिम्मेदारी भी राज्य की है। खुशहाल जीवन की उचित अवस्थाएं राज्य उपलब्ध कराएं ऐसा हमारा संविधान भी कहता है। यह विडंबना है कि देश के करोड़ो लोगों के सामाजिक न्याय की रक्षा बड़ी चुनौती बनी हुई है, जबकि घुसपैठियों के मानव अधिकारों की रक्षा के नाम पर बवाल मचाया जा रहा है। इस मामले में भारत के अनेक सियासी दलों का असामान्य रुख और आम चुनाव के मुहाने पर खड़ी सरकार की प्राथमिकता से आम नागरिक ठगा सा महसूस कर रहा है।
समस्याओं के प्रति संजीदा नहीं राजनीतिक दल
देश में बहुत समस्याएं हैं, लेकिन सियासी दल उनके प्रति संजीदा नहीं दिखाई देते है। संविधान के अनुच्छेद 39 ख और ग में यह साफ तौर पर निर्देशित किया गया है कि राज्य अपनी नीति का क्रियान्वयन इस प्रकार करेगा ताकि भौतिक संसाधनों पर स्वामित्व और नियंत्रण का बंटवारा उचित तरीके से हो, जिससे सभी समूहों के हितों का सवरेत्तम ध्यान रखा जा सके और आर्थिक व्यवस्था के अंतर्गत धन और उत्पादन के साधनों का जनसाधारण के विरुद्ध संकेंद्रण न हो। भारत में प्रवासियों, शरणार्थियों और यहां तक की घुसपैठियों के मानव अधिकारों और मूल अधिकारों पर सियासत जग जाहिर है। विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा संकीर्ण दलीय स्वार्थो के आधार पर शरणार्थी और घुसपैठी का सियासी बंटवारा किया जा रहा है। अवैध नागरिकों के जीवन की कठिनाइयों को लेकर संसद से सड़क तक चिंता भी जताई जा रही है जबकि भारत के मूल नागरिक बेहाल हैं
June 29,2019
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