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जयपुर तक/जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट:
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सोमवार को सीएम अशोक गहलोत दिव्यांगजनों, मूक-बधिरों सहित समाज के अन्य जरूरतमंद तबकों की समस्याओं पर विचार विमर्श किया। उन्होंने मूक-बधिरों को जिला अस्पतालों में बेरा डिवाइस लगाने की मांग के संबंध में दिव्यांग प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए उपस्थित अधिकारियों को परीक्षण करने के निर्देश दिए। 
सीएम ने कल मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रदेशभर से आए दिव्यांगजनों, मूक-बधिरों, घुमन्तु, अर्द्धघुमन्तु तथा विमुक्त जातियों, अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के उद्यमियों, अल्पसंख्यक, निजी विद्यालयों, नाॅन टीएसपी क्षेत्र की महिलाओं आदि से संवाद किया। संवाद के चलते इंटरप्रेटर के माध्यम से मूक-बधिरों की समस्याओं को सांकेतिक भाषा में सुनकर मुख्यमंत्री द्रवित हुए। गहलोत ने कहा कि अस्पतालों और थानों जैसी जगहों पर संवेदनशीलता के साथ अधिकारी मूक-बधिरों की सुनवाई कर सकें इसके लिए उन्हें इंटरप्रेटर की व्यवस्था की जानी चाहिएं। इस कार्य के लिए आम नागरिक से जुड़े सरकारी कार्यालयों के कार्मिकों को सांकेतिक भाषा का विशेष प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।

गहलोत ने मूक-बधिरों के लिए दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को अधिक प्रमाणिक बनाने के लिए जिला अस्पतालों में बेरा डिवाइस लगाने के निर्देश दिए है और इसके साथ कहा कि इससे जाली प्रमाण-पत्र बनाने पर रोक लगेगी। उन्हाेंने आगे कहा कि इनसे संबंधित शिक्षण संस्थाओं में मूक-बधिरों की सांकेतिक भाषा समझने वाले विशेषज्ञों और अध्यापकों को पदस्थापित किया जाए।
सीएम ने कहा कि सिलिकोसिस पीड़ितों के पुनर्वास एवं इस रोग के इलाज लिए जल्द ही नीति लाई जाएगी। संगठन से जुड़े लोगों ने इस बात पर अपनी ख़ुशी  जाहिर की। उन्होंने मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हुए कहा कि राजस्थान पहला राज्य होगा जहां सिलिकोसिस रोगियों के लिए इतनी उपयोगी तथा व्यापक नीति लाई जा रही है। इस नीति के संबंध में प्रतिनिधिमंडल ने अपने सुझाव दिए। 


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DESK HP NEWS

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